हरियाणा की धरती पर, जहां खेल और राजनीति अक्सर एक-दूसरे के साथ intertwined होते हैं, विनेश फोगाट ने एक नई दिशा में कदम रखा है। 30 वर्षीय पहलवान, जो पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने से चूक गई थीं, अब जुलाना निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ चुनावी दंगल में हैं।
फोगाट ने हाल ही में भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जिन्होंने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह संघर्ष न केवल उनके लिए एक व्यक्तिगत लड़ाई थी, बल्कि यह पूरे देश में महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा का मुद्दा भी बन गया। महीनों तक चले विरोध प्रदर्शनों के दौरान, फोगाट ने भाजपा की नीतियों और बृजभूषण के खिलाफ सरकार की चुप्पी पर जमकर निशाना साधा।
चुनाव प्रचार के दौरान, फोगाट ने हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में लोगों से जुड़ने की कोशिश की है। अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “भाजपा किसी को भी देशद्रोही या मुसलमान बताकर यह कहने में माहिर है कि वे अपने देश से प्यार नहीं करते। या उन्हें कांग्रेस से जुड़े होने का आरोप लगाकर सच्चाई को दबा देती है, लेकिन हम अदालत के जरिए देश के सामने सच्चाई लाएंगे।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर भी फोगाट ने निराशा व्यक्त की, खासकर तब जब ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर पर बृजभूषण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। उनका यह कहना कि “हमारी आवाजें सुनने के बजाय, वे हमें खामोश करने की कोशिश कर रहे हैं,” न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभव को दर्शाता है, बल्कि देशभर में कई महिलाओं की भावनाओं को भी उजागर करता है।
हरियाणा चुनाव की पृष्ठभूमि में, विनेश फोगाट का यह राजनीतिक सफर सिर्फ एक पहलवान की कहानी नहीं है। यह उस संघर्ष की कहानी है जहां खेल, राजनीति और सामाजिक न्याय एक साथ आते हैं। उनका चुनावी अभियान एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, जिससे हरियाणा की राजनीति में नई चुनौतियों और संभावनाओं का सामना करना पड़ेगा। फोगाट का यह कदम न केवल उन्हें एक नेता के रूप में स्थापित कर सकता है, बल्कि यह पूरे देश में महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण के लिए एक मिसाल भी पेश कर सकता है।
जुलाना में उनकी लड़ाई, न केवल कुश्ती के दंगल में, बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी एक नई दिशा को दिखाती है, जहां उन्हें न केवल अपनी आवाज उठाने का मौका मिला है, बल्कि वे महिलाओं की शक्ति और न्याय की ओर भी बढ़ने का एक उदाहरण बन सकती हैं।