Sunday, June 8, 2025
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सीएजी रिपोर्ट का लीक होना दिल्ली में राजनीतिक विवाद का कारण बना

8 जनवरी 2025, दिल्ली। जैसे ही भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट लीक हुई, दिल्ली की राजनीति में एक नया तूफान आ गया। रिपोर्ट ने केजरीवाल के सरकारी आवास के नवीनीकरण पर किए गए खर्च का खुलासा किया, और जैसे ही यह खबर मीडिया में आई, राजनीतिक माहौल गर्मा उठा। यह विवाद न सिर्फ आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तकरार का कारण बना, बल्कि दिल्ली की विधानसभा चुनावों से पहले एक रणनीतिक हथियार बन गया।

सीएजी रिपोर्ट का लीक: राजनीति की नई चाल

यह सब तब शुरू हुआ जब CAG की रिपोर्ट में दावा किया गया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के नवीनीकरण पर 33.66 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जो कि पहले अनुमानित 7.91 करोड़ रुपये से लगभग 342% अधिक था। यह रिपोर्ट चुनावों से ठीक पहले लीक हुई, और बीजेपी ने इसे भ्रष्टाचार का एक उदाहरण बताकर, AAP को घेरने का मौका लिया।

बीजेपी का हमला: “केजरीवाल का शीशमहल”

बीजेपी नेताओं ने तुरंत ही इस नवीनीकरण को ‘शीशमहल’ करार दिया और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के आवास का नवीनीकरण अत्यधिक खर्चीला था। महंगे पर्दे, जकूज़ी, 88 इंच का 8K टीवी, संगमरमर की दीवारें, और मिनी बार जैसी सुविधाएं मीडिया में चर्चा का विषय बन गईं। बीजेपी ने इन खर्चों को जनता की आँखों में गलत साबित करने की कोशिश की और इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर तंज कसते हुए कहा, “अगर केजरीवाल को महल बनाना था, तो कोई बात नहीं, लेकिन यह खर्च तो तर्कहीन था।” बीजेपी ने इसे एक भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया और चुनावी माहौल को प्रभावित करने की कोशिश की।

AAP का पलटवार: “बीजेपी का दोहरा चेहरा”

AAP ने इस आरोप का जोरदार तरीके से विरोध किया। पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए इसे हास्यास्पद बताया और कहा, “जब बीजेपी भ्रष्टाचार की बात करती है, तो यह बिलकुल वैसा ही है जैसे ओसामा बिन लादेन भ्रष्टाचार पर भाषण दे रहे हों।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी ने जानबूझकर CAG की रिपोर्ट को लीक किया ताकि चुनावी माहौल को प्रभावित किया जा सके और AAP को कमजोर किया जा सके।

AAP का कहना था कि दिल्ली की सरकार ने हर कदम पर पारदर्शिता का पालन किया है और इस नवीनीकरण को लेकर किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं की गई है। साथ ही, पार्टी ने सवाल उठाया कि रिपोर्ट को विधानसभा में पेश क्यों नहीं किया गया? क्या इसका लीक होना एक साजिश थी ताकि चुनावी लाभ उठाया जा सके?

नवीनीकरण के खर्च का विवरण

CAG की रिपोर्ट में न केवल नवीनीकरण की कुल लागत का खुलासा किया गया, बल्कि खर्चों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। रिपोर्ट में यह बताया गया कि 2022 में केजरीवाल के सरकारी आवास के नवीनीकरण पर कुल 33.66 करोड़ रुपये खर्च हुए। यह खर्च पहले के अनुमान से 325% ज्यादा था।

रिपोर्ट में कुछ प्रमुख खर्चों का विवरण दिया गया:

  • पर्दे: 96 लाख रुपये
  • किचन उपकरण: 39 लाख रुपये
  • टीवी कंसोल: 20.34 लाख रुपये
  • जिम उपकरण: 18.52 लाख रुपये
  • रेशमी कालीन: 16.27 लाख रुपये
  • मिनी बार: 4.80 लाख रुपये
  • संगमरमर की दीवारें: 20 लाख रुपये
  • स्टाफ ब्लॉक और कैंप कार्यालय निर्माण: 3.86 करोड़ रुपये

इन खर्चों को देखकर बीजेपी और कांग्रेस ने इस नवीनीकरण को लेकर सवाल उठाए और इसे ‘शीशमहल’ करार दिया। उनकी ओर से यह दावा किया गया कि यह खर्च बहुत अधिक था और जनता के पैसों का दुरुपयोग हुआ है।

सीएजी की रिपोर्ट पर उठते सवाल

AAP ने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने नवीनीकरण में कागजी कार्यवाही की अनदेखी की, जिससे ठेकेदारों द्वारा आपूर्ति की गई सामग्री की वास्तविकता को सत्यापित नहीं किया जा सका। पार्टी ने यह दावा किया कि रिपोर्ट को विधानसभा में पेश नहीं किया गया था, जिससे सवाल उठे कि क्या यह लीक रिपोर्ट जानबूझकर सार्वजनिक की गई थी ताकि चुनावों के दौरान राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।

CAG की रिपोर्ट का लीक होना केवल एक वित्तीय विवाद नहीं है, बल्कि यह दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा मोड़ ला सकता है। बीजेपी और AAP दोनों ही इस रिपोर्ट को अपने-अपने तरीके से पेश कर रहे हैं। बीजेपी इसे AAP के खिलाफ भ्रष्टाचार के प्रमाण के रूप में इस्तेमाल कर रही है, जबकि AAP इसे बीजेपी की राजनीतिक चाल मान रही है। इस विवाद ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के संदर्भ में माहौल को और भी गर्मा दिया है, और आगामी चुनावों में यह मुद्दा एक बड़ा चुनावी हथियार बन सकता है।

इस रिपोर्ट के लीक होने के बाद दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है, और यह कहना मुश्किल है कि इसका परिणाम क्या होगा। हालांकि, यह मामला साफ तौर पर यह दिखाता है कि राजनीति में कभी भी कोई भी बात व्यक्तिगत नहीं रहती—हर मुद्दा चुनावी रणनीति में बदल जाता है।

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