Sunday, June 8, 2025
HomeLatest Newsमोहन भागवत का विजयादशमी भाषण: बांग्लादेश की चिंता, भारत की खामोशी पर...

मोहन भागवत का विजयादशमी भाषण: बांग्लादेश की चिंता, भारत की खामोशी पर सवाल

जैसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने 100वें वर्ष में प्रवेश करता है, संगठन के प्रमुख मोहन भागवत का विजयादशमी भाषण बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षित था। लेकिन यह न तो कार्यकर्ताओं को प्रेरित कर सका और न ही आम जनता को उत्साहित कर पाया। हिंदुओं की एकता के आह्वान और ‘डीप स्टेट’, ‘वोकिज़्म’ और ‘सांस्कृतिक मार्क्सवाद’ जैसे खतरों की चेतावनी में कुछ भी नया नहीं था। भागवत का वार्षिक दशहरा भाषण आमतौर पर RSS के दृष्टिकोण और भविष्य की दिशा पर प्रकाश डालता है, और इसके माध्यम से यह भी आकलन किया जाता है कि देश की सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी (BJP) किस दिशा में आगे बढ़ेगी।

अपने भाषण में भागवत ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों का जिक्र किया, खासकर शेख हसीना सरकार के हटने के बाद। उन्होंने बांग्लादेश के हिंदुओं की प्रशंसा की, जिन्होंने हमलों के खिलाफ एकजुट होकर विरोध किया। साथ ही, उन्होंने विश्वभर के हिंदुओं से अपील की कि वे बांग्लादेश में हो रहे अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाएं।

हालांकि, यह विडंबना है कि भागवत ने भारत में अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों, पर हो रहे अत्याचारों पर भाजपा सरकार की आलोचना नहीं की। गाय संरक्षण के नाम पर मुसलमानों पर बार-बार हो रहे हमले और लिंचिंग की घटनाओं पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। विपक्ष ने तुरंत पलटवार करते हुए पूछा कि RSS प्रमुख भाजपा का समर्थन क्यों कर रहे हैं, जो लगातार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों से देश में असंतोष फैला रही है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular