एक अनुभवी नेता, एक उभरती हुई आवाज़ और एक नई खिलाड़ी जो राजनीति में अपनी जगह बना रही है। इन तीनों के बीच एक बात सामान्य है – वो हैं संघर्ष, जो उन्हें अपने महत्वाकांक्षाओं और एक पितृसत्तात्मक समाज में अपने महिला होने की पहचान के बीच संतुलन बनाने के लिए करना पड़ता है।
हाल के हफ्तों में तीन महिला राजनेताओं ने सुर्खियाँ बटोरी हैं। इनमें से एक हैं अनुभवी नेता, जो अब अपने कार्यों या कहें, की अक्रियाशीलता के कारण आलोचनाओं का सामना कर रही हैं। दूसरी ओर एक अत्यधिक योग्य महिला हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा और कुछ ऐसा किया की जिससे वह अलग दिखीं, लेकिन अब वह उसी रूढ़िवादी छवि में ढलती जा रही हैं, जहाँ उन्हें एक पुरुष गुरु पर निर्भर माना जा रहा है। और तीसरी, जो अपनी शारीरिक शक्ति और जुझारू स्वभाव के लिए जानी जाती हैं, वो अब राजनीति में कदम रखकर एक बड़ा जोखिम उठाया है, जहाँ उन्हें इन दोनों गुणों से कहीं अधिक की आवश्यकता होगी। और देश की दूसरे महिलाओ के लिए प्रेरणादायक होगा
ये तीनों महिलाएं हैं ममता बनर्जी, आतिशी और विनेश फोगाट। पहली की परीक्षा हो चुकी है, दूसरी को कई चुनौतियों का सामना करना है, और तीसरी अभी राजनीति में अपने कदम जमा रही है।