छठ पूजा का तीसरा दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। यह एक ऐसा पर्व है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आत्मिक शांति और परिवार की खुशहाली के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। सुमन और उनके परिवार ने इस दिन के लिए पूरी तरह से तैयारी की थी।
नदी किनारे का दृश्य
सुमन और उनका परिवार नदी के किनारे पूजा स्थल पर पहुंचे। रास्ते भर श्रद्धालु पारंपरिक पीले और नारंगी रंग की साड़ी में सजे हुए थे। महिलाएं और पुरुष एक साथ सूर्य देव की पूजा में लग गए थे, और उनका उत्साह देखते ही बनता था। महिलाएं अपने हाथों में पूजा का सामान लिए हुए थीं, जिसमें ठेकुआ, शकरकंद, गन्ना, फल और अन्य प्रसाद था।
अर्घ्य अर्पित करने का समय
सूर्यास्त के समय, जैसे ही सूर्य देव क्षितिज से नीचे जाने लगे, सुमन ने अपने हाथों में पकड़ी बांस की टोकरा (सूप) को उठाया और सूर्य देव की ओर अर्पित किया। उनके मन में एक ही प्रार्थना थी कि उनके परिवार में सुख-शांति बनी रहे और सभी की सेहत ठीक रहे। वह पूरे विश्वास और आस्था के साथ सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर रही थीं।
आध्यात्मिक अनुभव और संतुष्टि
जैसे ही सूर्य की आखिरी किरणें नदी के पानी में समाने लगीं, सुमन ने महसूस किया कि जैसे उनके समस्त दुख और थकान समाप्त हो गए हों। अर्घ्य अर्पित करने का यह क्षण केवल पूजा का हिस्सा नहीं था, बल्कि यह एक दिव्य अनुभव था जो सुमन के शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध कर रहा था।
पारिवारिक उत्सव और प्रसाद वितरण
अर्घ्य अर्पित करने के बाद, सुमन और उनके परिवार ने प्रसाद वितरित किया। सभी के चेहरे पर खुशी और संतुष्टि का अनुभव हो रहा था। इस दिन की पूजा ने न केवल सूर्य देव के प्रति श्रद्धा को बढ़ाया, बल्कि परिवार के बीच एकता और सामूहिक आस्था का संदेश भी दिया।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का तीसरा दिन न केवल एक दिन का धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह एक यात्रा की तरह होता है, जो हर भक्त के मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है। यह पर्व समर्पण, तपस्या और आस्था का प्रतीक बनकर हर व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।
छठ पूजा का यह दिन न केवल सूर्य देव की पूजा का प्रतीक था, बल्कि यह समाज और परिवार को जोड़ने वाली एक ऐसी धार्मिक यात्रा थी, जिसने सुमन और उनके परिवार को आत्मिक शांति और संतुष्टि दी। इस दिन की पूजा ने उनके जीवन को नया दृष्टिकोण और शक्ति प्रदान की, और यह संदेश दिया कि आस्था और समर्पण के साथ कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।