आज प्रदूषण दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है, और पर्यावरण भी संकट में है। देश और दुनिया की हालत लगातार खराब होती जा रही है। दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। हाल ही में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 1100 तक पहुँच गया, जो कि एक खतरनाक स्तर है। इस प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं और लोगों की जान खतरे में है।
दुनिया के कई देशों में प्रदूषण के कारण लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, हर साल 7 मिलियन से ज्यादा लोग प्रदूषण के कारण मारे जाते हैं, जिसमें अधिकांश विकासशील देशों के लोग शामिल हैं। यह प्रदूषण न केवल मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि यह पर्यावरण और जीव-जंतुओं के लिए भी खतरनाक है।
इस खतरनाक स्थिति का समाधान ढूंढने के लिए दुनिया भर के देशों ने “कॉप” (Conference of the Parties – COP) नामक सम्मेलन शुरू किया है, जहाँ देशों के प्रतिनिधि मिलकर पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करते हैं और समाधान निकालने का प्रयास करते हैं। COP के माध्यम से जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्य करने का प्रयास किया जा रहा है।
COP29 का सम्मेलन 2024 में अज़रबैजान के बाकू शहर में हो रहा है, जिसमें 200 से अधिक देश हिस्सा ले रहे हैं। इस सम्मेलन में प्रदूषण को नियंत्रित करने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और पर्यावरण को बचाने के लिए नए कदम उठाए जाने पर चर्चा की जा रही है।
COP क्या है?
कॉप वह जगह है जहाँ अलग-अलग देशों के प्रतिनिधि मिलकर पर्यावरण संबंधी समझौतों को लागू करने और उनकी प्रगति का मूल्यांकन करते हैं। यह बैठक सभी देशों को एक मंच पर लाकर उन्हें यह सिखाती है कि वे मिलकर कैसे काम कर सकते हैं।
COP का उद्देश्य
- देशों की प्रगति की समीक्षा करना: यह देखा जाता है कि कौन से देश पर्यावरण को बचाने के लिए क्या-क्या कर रहे हैं।
- नए कदम उठाना: अगर कोई नई समस्या सामने आती है, तो उसका समाधान निकालने के लिए जरूरी कदम उठाए जाते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण COP सम्मेलन
- COP1 (बर्लिन, 1995): यह पहली बैठक थी जहाँ वार्षिक रूप से इस सम्मेलन को करने की परंपरा शुरू हुई।
- COP3 (क्योटो, 1997): इसमें “क्योटो प्रोटोकॉल” बना, जिसमें विकसित देशों को ग्रीनहाउस गैसों को कम करने का वादा करना पड़ा।
- COP21 (पेरिस, 2015): “पेरिस समझौता” यहीं हुआ, जिसमें तापमान को 2°C से नीचे रखने का लक्ष्य रखा गया।
- COP28 (दुबई, 2023): पहली बार यहाँ जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) को कम करने की बात पर सहमति बनी।
COP29: भविष्य की नई आशा
2024 में COP29 की बैठक अज़रबैजान के बाकू शहर में हो रही है। यह 11 नवंबर से 22 नवंबर तक चलेगी। इस सम्मेलन में 200 से अधिक देश भाग ले रहे हैं, जहाँ वैज्ञानिक, उद्योगपति और जनजातीय समुदाय भी शामिल हैं।
मुख्य विषय:
- जलवायु वित्त (क्लाइमेट फाइनेंस): गरीब और विकासशील देशों को पर्यावरणीय बदलाव से निपटने के लिए आर्थिक मदद चाहिए। इसके लिए नया वित्तीय लक्ष्य बनाने पर चर्चा हो रही है। यह तय किया जा रहा है कि 2025 के बाद हर साल $100 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद कैसे की जाए।
- जीवाश्म ईंधन पर बहस: कुछ देशों के अधिकारी अभी भी तेल और गैस के सौदे करना चाहते हैं। इस वजह से सम्मेलन में बहस छिड़ी हुई है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य जीवाश्म ईंधन को कम करना है।
- नुकसान और क्षति कोष (लॉस एंड डैमेज फंड): कमजोर देशों को जलवायु परिवर्तन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए एक फंड बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
- नए तकनीकी समाधान: भारत जैसे देशों में गर्मी बढ़ने से ठंडक की जरूरत बढ़ गई है। इस पर चर्चा हो रही है कि ऐसी तकनीकें अपनाई जाएँ जो ऊर्जा कम खपत करें और पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाएँ।
गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की भूमिका
कॉप सम्मेलन में एनजीओ भी अहम भूमिका निभाते हैं। ये संगठन नीतियों पर सलाह देते हैं, स्थानीय लोगों की मदद करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकारें अपने वादों को पूरा करें।
एनजीओ का योगदान:
- विशेषज्ञता प्रदान करना: वैज्ञानिक डेटा और जानकारी देकर एनजीओ चर्चा को सही दिशा देते हैं।
- जागरूकता बढ़ाना: वे लोगों को जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों के बारे में जागरूक करते हैं।
- पारदर्शिता बनाए रखना: वे सरकारों पर नज़र रखते हैं कि वे अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाएँ।
स्थानों का चयन कैसे होता है?
कॉप के लिए हर बार नया स्थान चुना जाता है। यह चयन पाँच मुख्य क्षेत्रों (अफ्रीका, एशिया-प्रशांत, लैटिन अमेरिका, पूर्वी यूरोप और पश्चिमी यूरोप) के आधार पर होता है। अगर किसी क्षेत्र का देश मेजबानी करने के लिए तैयार नहीं होता, तो जर्मनी के बॉन शहर को विकल्प के रूप में चुना जाता है।
COP: एक उम्मीद
कॉप सम्मेलन दुनियाभर के देशों को एक मंच पर लाकर यह मौका देता है कि वे पर्यावरण को बचाने के लिए मिलकर काम करें। हर साल इन बैठकों में नए मुद्दे उठाए जाते हैं, नए समाधान खोजे जाते हैं और भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए जाते हैं।
बाकू में हो रहा COP29 सम्मेलन एक और महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हो सकता है। अगर सभी देश मिलकर अपने वादे पूरे करें, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।