छत्तीसगढ़ में खोजी पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या ने समाज को झकझोर दिया है। यह घटना भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग की गहराई को उजागर करती है।
घटना का पूरा विवरण
मुकेश का शव 3 जनवरी 2025 को ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के घर के सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ। उनकी मौत ने उस भ्रष्टाचार की जांच से जुड़ी थी, जिसका खुलासा उन्होंने हाल ही में किया था। उन्होंने बस्तर जिले के बीजापुर में एक सड़क निर्माण परियोजना में ₹120 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश किया था।
25 दिसंबर 2024 को, मुकेश ने इस घोटाले की रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसके बाद, नए साल के दिन सुरेश ने उन्हें डिनर पर बुलाया। वहां बहस छिड़ी, और जल्द ही यह हिंसा में बदल गई।
हत्या का कारण और अपराधियों की गिरफ्तारी
सुरेश और उसके साथियों ने मुकेश को लोहे की रॉड से मारा। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके सिर और शरीर पर गंभीर चोटों के निशान पाए गए। हत्या के बाद, सुरेश ने उनके शव को सेप्टिक टैंक में डालकर उसे सील कर दिया।
पुलिस ने मुकेश की आखिरी लोकेशन ट्रेस की और सुरेश को हैदराबाद से गिरफ्तार किया। उनके साथ अन्य तीन आरोपियों को भी हिरासत में लिया गया है।
सामाजिक आक्रोश और सरकार की प्रतिक्रिया
इस हत्या ने राज्य और देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया। पत्रकार और सामाजिक संगठन न्याय की मांग कर रहे हैं। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने आश्वासन दिया कि दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी।
पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल
छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए 2023 में “मीडिया कर्मी संरक्षण अधिनियम” लागू किया गया था। फिर भी, इस हत्या ने इसकी प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना ने दिखाया है कि सुरक्षा उपायों को लागू करने में कमी है।
समाज के लिए बड़ा संदेश
मुकेश चंद्राकर की हत्या केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं है। यह घटना सच्चाई और ईमानदारी के लिए लड़ने वालों के सामने मौजूद खतरों को उजागर करती है।
उनकी हत्या ने पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है। क्या हम एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जहां सच बोलने वालों को उनकी आवाज़ की कीमत अपनी जान से चुकानी पड़े?
मुकेश की कहानी उन तमाम पत्रकारों के लिए प्रेरणा है, जो सच्चाई के लिए लड़ रहे हैं। यह लड़ाई उनके लिए न्याय पाने और भ्रष्टाचार से मुक्त समाज बनाने की है।