हाल के हफ्तों में, पटना बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा में पेपर लीक की खबरों के बाद विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गया है। 13 दिसंबर 2024 को आयोजित 70वीं सम्मिलित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (CCE) में कथित पेपर लीक के आरोपों ने छात्रों को सड़कों पर उतरने पर मजबूर कर दिया। सरकार द्वारा परीक्षा रद्द करने से इनकार करने के बाद छात्रों का गुस्सा और बढ़ गया है। यह रिपोर्ट इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे की कहानी, पुलिस की प्रतिक्रिया, राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और इसके व्यापक प्रभावों पर प्रकाश डालती है।
विरोध का कारण
छात्रों ने आरोप लगाया है कि 70वीं CCE का प्रश्नपत्र परीक्षा से पहले लीक हो गया था। सैकड़ों छात्र गार्डनिबाग में इकट्ठा हुए और BPSC कार्यालय की ओर मार्च किया। उनकी माँग है कि परीक्षा रद्द की जाए और सभी के लिए पुनः परीक्षा आयोजित हो। छात्रों का कहना है कि सिर्फ एक केंद्र के लिए पुनः परीक्षा कराना पूरी प्रक्रिया की निष्पक्षता को खतरे में डालता है। 24 दिसंबर को, BPSC अध्यक्ष परमार राय मनुभाई ने स्पष्ट किया कि केवल कुछ छात्रों के लिए पुनः परीक्षा होगी और पूरी परीक्षा रद्द नहीं की जाएगी।
पुलिस की कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
पुलिस की कार्रवाई
प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए बल प्रयोग किया, जिससे कई छात्र घायल हो गए। छात्रों का आरोप है कि उनकी शांतिपूर्ण रैली को हिंसा से दबाने की कोशिश की गई। इस कार्रवाई ने सरकार और पुलिस की भारी आलोचना को जन्म दिया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
विपक्षी दलों ने इस विरोध का फायदा उठाते हुए सरकार पर तीखा हमला किया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के नेताओं ने सरकार की निंदा करते हुए इसे “शर्मनाक” और “प्रशासनिक विफलता” करार दिया। राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया और बिहार की परीक्षा प्रणाली में सुधार की माँग की।
दूसरी ओर, भाजपा नेताओं ने पेपर लीक के आरोपों को “निराधार” बताते हुए विपक्षी दलों पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि यह प्रदर्शन जनता का विश्वास कमजोर करने की साजिश है।
निजी कोचिंग संस्थानों की भूमिका
निजी कोचिंग संस्थानों ने छात्रों को एकजुट करने और उनकी समस्याओं को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अधिकारियों का आरोप है कि कुछ कोचिंग संस्थान छात्रों को प्रदर्शन के लिए भड़का रहे हैं, जबकि कई शिक्षक और संस्थान छात्रों का खुला समर्थन कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, प्रसिद्ध शिक्षाविद् खान सर ने प्रदर्शन में भाग लेकर पारदर्शिता और निष्पक्षता की माँग की।
व्यापक प्रभाव
परीक्षा की निष्पक्षता
BPSC विवाद ने बिहार की सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पाँच लाख से अधिक उम्मीदवारों की उम्मीदों पर पानी फिरने का खतरा है।
राजनीतिक परिदृश्य
यह विरोध अब एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है, जहाँ विपक्षी दल सरकार की नीतियों और युवाओं के प्रति उदासीनता को उजागर कर रहे हैं। बिहार के युवा, जो राज्य की सामाजिक और राजनीतिक संरचना का अहम हिस्सा हैं, इस विवाद से खासे नाराज हैं।
प्रशासन और जवाबदेही
यह विरोध बिहार की परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इस घटना ने सरकार पर छात्रों की माँगों को सुनने और उनकी समस्याओं का समाधान करने का दबाव बढ़ा दिया है।
BPSC पेपर लीक विवाद और इसके बाद के विरोध ने बिहार के शैक्षिक और प्रशासनिक ढांचे में गहरी खामियों को उजागर किया है। एक केंद्र के लिए पुनः परीक्षा की घोषणा छात्रों के गुस्से को शांत करने में नाकाम रही है। सरकार के सामने अब चुनौती है कि वह छात्रों के विश्वास को कैसे बहाल करे और परीक्षा प्रणाली में सुधार कैसे सुनिश्चित करे। इस विवाद का असर बिहार की राजनीति और प्रशासन पर लंबे समय तक देखने को मिलेगा।