नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, और सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है। मां कालरात्रि का रूप अत्यंत उग्र और भयमुक्ति का प्रतीक है। इस दिन, भक्त मां तारा की भी आराधना करते हैं, जो ज्ञान और मुक्ति की देवी मानी जाती हैं। दोनों देवी ऊर्जा, शक्ति और ज्ञान का अद्वितीय संगम हैं।
मां कालरात्रि की महिमा
मां कालरात्रि का स्वरूप अंधकार और बुरी शक्तियों के विनाश का प्रतीक है। उनका वर्ण काला है, और वे अपने भक्तों से जीवन में किसी भी प्रकार के भय से मुक्त रहने का आह्वान करती हैं। मां कालरात्रि चार भुजाओं वाली हैं, जिनमें से एक में तलवार और एक में कांटा धारण करती हैं, और दो हाथों से वर और अभय मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं।
मां कालरात्रि का वाहन गधा है, और वे उन सभी नकारात्मक शक्तियों का विनाश करती हैं, जो उनके भक्तों को परेशान करती हैं। उन्हें रात्रि की देवी के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि वे अज्ञानता और अंधकार का अंत करती हैं। उनके पूजन से शत्रु का नाश होता है, और घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
मां तारा की उपासना
मां तारा नवरात्रि के सातवें दिन पूजित होती हैं। उन्हें ज्ञान, विद्या और मुक्ति की देवी माना जाता है। तारा मां का रूप अत्यंत सुंदर और शांति का प्रतीक है। वे भक्तों को आंतरिक और बाहरी संकटों से बचाने वाली देवी मानी जाती हैं। मां तारा की पूजा से व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और वे सांसारिक मोह से ऊपर उठकर मोक्ष प्राप्ति की ओर बढ़ते हैं।
मां तारा का नाम संस्कृत शब्द “तारा” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “जो पार कराए।” वे जीवन के संकटों और कष्टों से अपने भक्तों को पार कराती हैं और उन्हें ज्ञान का प्रकाश देती हैं। उनकी पूजा से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
नवरात्रि के सातवें दिन की पूजा विधि
मां कालरात्रि और मां तारा की पूजा के लिए इस दिन भक्त लाल या नीले वस्त्र धारण करते हैं। देवी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर उन्हें लाल पुष्प, गुड़, और धूप अर्पित की जाती है। मां कालरात्रि को गुड़ का भोग विशेष रूप से प्रिय है, और मां तारा को दूध और मिठाई अर्पित की जाती है।
मंत्रों का जाप, चालीसा का पाठ और मां की आरती करने से भक्तों को जीवन में आत्मबल, साहस और आत्मशक्ति प्राप्त होती है। मां कालरात्रि की कृपा से सभी प्रकार के भय समाप्त होते हैं, और मां तारा का आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास का मार्ग मिलता है।
नवरात्रि का सातवां दिन: शक्ति और ज्ञान का समन्वय
सातवां दिन देवी के उग्र और शांत दोनों रूपों की आराधना का समय है। मां कालरात्रि से जहां शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है, वहीं मां तारा से ज्ञान और मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन की पूजा से भक्त अपने जीवन की बुरी शक्तियों का नाश करते हुए आत्मिक और मानसिक शांति की ओर अग्रसर होते हैं।
नवरात्रि के इस महत्वपूर्ण दिन को मनाकर व्यक्ति अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर करता है और नई ऊर्जा और सकारात्मकता के साथ जीवन में आगे बढ़ता है।