महालया का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह पितृ पक्ष के समापन और शारदीय नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है। महालया, जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है, इस वर्ष 2 अक्टूबर को मनाया जायेगा इस दिन देवी दुर्गा के धरती पर आगमन की तैयारी की जाती है
महालया के दिन लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और इस दिन पितरों को याद करने का होता है, जिसमें जल और भोजन अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही, महालया देवी दुर्गा के आगमन का संकेत भी देती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी माँ कैलाश पर्वत से विदा लेती हैं, जिससे नवरात्रि की शुरुआत होती है।
महालया के बाद, 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू होता है। यह नौ दिनों का उत्सव देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित होता है। हर दिन एक विशेष देवी की आराधना की जाती है, जैसे:
पहला दिन: शैलपुत्री
दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी
तीसरा दिन: चंद्रघंटा
चौथा दिन: कुशमंडा
पाँचवाँ दिन: स्कंदमाता
छठा दिन: कात्यायनी
सातवाँ दिन: कालरात्रि
आठवाँ दिन: महागौरी
नवाँ दिन: सिद्धिदात्री
उत्सव का आनंद
नवरात्रि के दौरान भक्त उपवास रखते हैं, पूजा करते हैं और मंदिरों में जाकर देवी माँ से आशीर्वाद मांगते हैं। यह समय खुशी और भक्ति से भरा होता है, जहाँ लोग एकत्र होकर गरबा और डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्य करते हैं।