Friday, January 10, 2025
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भारत में युवा वर्ग में सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव और बेरोज़गारी की समस्या

भारत में सोशल मीडिया का उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, विशेष रूप से युवा वर्ग के बीच। इंटरनेट और स्मार्टफोन के सस्ते होने के कारण सोशल मीडिया अब भारतीय युवाओं के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। जहाँ एक ओर सोशल मीडिया युवाओं को सामाजिक और मनोरंजन के अवसर प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर इसने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला है। इसके साथ ही, एक और गंभीर समस्या जिसे भारतीय युवा महसूस कर रहे हैं, वह है बेरोज़गारी। भारतीय राजनीति और सरकार की नीतियों में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या युवाओं के लिए पर्याप्त नौकरियाँ उपलब्ध हैं? क्या सरकार इस समस्या को हल करने में सक्षम है? इस लेख में हम इन दोनों मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

भारत में सोशल मीडिया का परिदृश्य

भारत में सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। 2024 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 462 मिलियन सक्रिय सोशल मीडिया उपयोगकर्ता हैं, जो कि देश की कुल जनसंख्या का लगभग 32.2% हैं। इस आंकड़े में सबसे बड़ी हिस्सेदारी 18 से 24 वर्ष के युवाओं की है। यह युवा वर्ग औसतन 7 घंटे प्रतिदिन सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर समय बिताता है। व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफार्म भारतीयों में सबसे ज्यादा प्रचलित हैं, और व्हाट्सएप का उपयोग 83% इंटरनेट उपयोगकर्ताओं द्वारा किया जाता है।

इस बढ़ती प्रवृत्ति का असर भारतीय समाज पर देखा जा सकता है। जहाँ पहले युवा अपनी ज़िन्दगी के महत्वपूर्ण हिस्सों को व्यक्तिगत रूप से जीते थे, अब सोशल मीडिया ने उन व्यक्तिगत क्षणों को साझा करने का एक नया तरीका दिया है। सोशल मीडिया की पहुँच ने हर युवा को एक मंच दिया है, जहां वह अपनी आवाज़ को पूरी दुनिया तक पहुँचाने में सक्षम है।

सोशल मीडिया पर युवा वर्ग का उच्च व्यस्तता

सोशल मीडिया पर समय बिताने के कई कारण हैं जो भारतीय युवाओं को इन प्लेटफार्मों पर आकर्षित करते हैं।

1. मनोरंजन और कनेक्टिविटी:

सोशल मीडिया का उपयोग मुख्य रूप से मनोरंजन और सामाजिक कनेक्टिविटी के लिए किया जाता है। इंस्टाग्राम, यूट्यूब, और फेसबुक जैसे प्लेटफार्म युवा उपयोगकर्ताओं के लिए नए प्रकार के वीडियो कंटेंट, मेम्स, और ट्रेंड्स का केंद्र बन गए हैं। 70% से अधिक मोबाइल इंटरनेट समय सोशल मीडिया और मनोरंजन ऐप्स पर खर्च किया जाता है। युवा अपने मित्रों के साथ जुड़ने और नए ट्रेंड्स को फॉलो करने के लिए इन प्लेटफार्मों का उपयोग करते हैं।

2. सांस्कृतिक और सामाजिक पहलू:

भारत की औसत आयु 27 वर्ष के आसपास है, जिससे यह एक युवा देश बनता है। इस आयु वर्ग के लोग डिजिटल दुनिया में अधिक सक्रिय रहते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे इंस्टाग्राम और टिक-टॉक (अब बैन हो चुका) इस आयु वर्ग में विशेष रूप से लोकप्रिय हुए हैं। युवा वर्ग इन प्लेटफार्मों पर वीडियो, मेम्स और तस्वीरें साझा करते हैं, जो उनके सामाजिक जीवन और संस्कृति का हिस्सा बन गए हैं।

3. मनोवैज्ञानिक कारक:

सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय रहने से मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सोशल मीडिया पर लाइक्स, कमेंट्स, और शेयर की संख्या के आधार पर युवाओं में आत्म-सम्मान और स्वीकृति की चाहत पैदा होती है। यह एक मानसिक निर्भरता का कारण बनता है। इसके परिणामस्वरूप, युवा सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने लगते हैं और यह एक आदत में बदल जाता है।

4. सुलभता और सस्ती इंटरनेट सेवाएं:

भारत में सस्ते डेटा पैक्स और स्मार्टफोन की बढ़ती उपलब्धता ने सोशल मीडिया की पहुंच को हर युवा तक पहुँचा दिया है। अब, वे किसी भी स्थान और किसी भी समय सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का इस्तेमाल कर सकते हैं। यही कारण है कि सोशल मीडिया पर समय बिताने की आदत काफी बढ़ गई है।

बेरोज़गारी और भारतीय राजनीति

सोशल मीडिया पर बढ़ता समय बिताने के अलावा, भारतीय युवाओं को एक और महत्वपूर्ण मुद्दे का सामना करना पड़ रहा है, वह है बेरोज़गारी। बेरोज़गारी का स्तर भारत में चिंता का कारण बन चुका है, और यह समस्या खासकर युवा वर्ग के बीच गहरी पैठ बना चुकी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारतीय युवा बेरोज़गारी दर 30% से अधिक है, और यह लगातार बढ़ रही है। यह स्थिति बहुत से कारणों से उत्पन्न हुई है:

1. अल्प रोजगार सृजन:

भारत की राजनीतिक नीतियाँ रोजगार सृजन की दिशा में अपेक्षाकृत धीमी गति से काम कर रही हैं। सरकारी विभागों में नौकरी की संख्या में उतनी वृद्धि नहीं हो रही जितनी आवश्यकता है। निजी क्षेत्र में भी, तकनीकी बदलावों और ऑटोमेशन की वजह से पारंपरिक नौकरियों में कमी आ रही है। इसके परिणामस्वरूप, युवा वर्ग के लिए रोजगार के अवसर सीमित हो गए हैं।

2. शिक्षा प्रणाली और कौशल की कमी:

भारत में शिक्षा प्रणाली कभी-कभी वास्तविक उद्योग की जरूरतों से मेल नहीं खाती। छात्रों को तकनीकी और व्यावसायिक कौशल में प्रशिक्षण की कमी होती है, जो उन्हें नौकरी की दुनिया में सफल होने के लिए आवश्यक होते हैं। इसके परिणामस्वरूप, जब युवा नौकरी की तलाश में होते हैं, तो उनके पास पर्याप्त कौशल नहीं होते, जिससे बेरोज़गारी बढ़ जाती है।

3. सरकारी योजनाओं की कमी:

भले ही भारतीय सरकार ने कई रोजगार योजनाओं की घोषणा की हो, लेकिन इन योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन और निगरानी की कमी है। सरकारी नौकरियों की संख्या में वृद्धि नहीं हो रही, और युवाओं को मनचाही नौकरी प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। इसके अलावा, निजी क्षेत्र में भी नौकरी की असुरक्षा बढ़ रही है।

4. आत्मनिर्भरता का बढ़ता दबाव:

आजकल, युवा वर्ग पर आत्मनिर्भर बनने का दबाव अधिक है। कई युवा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से छोटे व्यवसाय शुरू करते हैं, लेकिन इसके बावजूद, एक स्थिर और उचित रोजगार की तलाश जारी रहती है। सरकार द्वारा रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, कई बार यह महसूस होता है कि राजनीतिक नेता युवाओं के मुद्दों की अनदेखी कर रहे हैं।

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

सोशल मीडिया का बढ़ता उपयोग मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है। शोध बताते हैं कि अत्यधिक सोशल मीडिया उपयोग से भारतीय युवाओं में चिंता, अवसाद, आत्म-संकोचन, और यहां तक कि साइबरबुलिंग की समस्या बढ़ रही है। सोशल मीडिया पर प्रामाणिक जीवन की तुलना में अन्य उपयोगकर्ताओं के आदर्श जीवन को देखकर युवाओं में आत्म-सम्मान की कमी हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप, युवा मानसिक तनाव का सामना करते हैं, जो उनके आत्मविश्वास को प्रभावित करता है।

निष्कर्ष

भारत में सोशल मीडिया का बढ़ता उपयोग और युवाओं के लिए नौकरियों की कमी दोनों ही गंभीर मुद्दे हैं। सोशल मीडिया मनोरंजन, कनेक्टिविटी और सामाजिक स्वीकृति का एक प्रमुख साधन बन चुका है, लेकिन इसके अधिक उपयोग से मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। दूसरी ओर, बेरोज़गारी और शिक्षा में कमी जैसे मुद्दे भी भारतीय राजनीति और सरकार के लिए एक चुनौती बने हुए हैं।

समय की मांग है कि सरकार युवाओं के लिए अधिक रोजगार अवसर प्रदान करने की दिशा में ठोस कदम उठाए, और शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाए ताकि युवा बेहतर कौशल के साथ रोजगार पा सकें। साथ ही, सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से उपयोग करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि यह युवाओं के लिए एक सकारात्मक और सशक्त अनुभव बन सके।

Comparative Insights

Feature India China United States
Internet Users 700 million 900 million 312 million
Average Daily Usage 2.6 hours Varies widely Varies widely
Dominant Platforms WhatsApp, Facebook, Instagram WeChat, Weibo Facebook, Instagram, TikTok
Regulatory Environment Emerging regulations Strict government control Relatively free
Growth Trends Rapid growth in social commerce Established domestic platforms Influencer-driven marketing
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