प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू करते हुए जन सुराज पार्टी की औपचारिक घोषणा की। पिछले दो सालों से बिहार के अलग-अलग हिस्सों में घूमकर जनता की समस्याओं को समझने के बाद, उन्होंने एक 5-सूत्रीय एजेंडा प्रस्तुत किया, जो राज्य को बदलने का वादा करता है।
कहानी की शुरुआत होती है बिहार के भविष्य को सुधारने की एक बड़ी योजना से। प्रशांत किशोर का मानना है कि बिहार को तरक्की के रास्ते पर लाने के लिए सबसे पहले शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना होगा। उन्होंने अपने पहले बिंदु में कहा, “अगर हम बिहार में एक विश्व स्तरीय शिक्षा प्रणाली विकसित करना चाहते हैं, तो हमें अगले दस साल में ₹5 लाख करोड़ की जरूरत पड़ेगी।” वह आगे कहते हैं कि बिहार में लागू शराबबंदी के कारण जो ₹20,000 करोड़ का नुकसान हो रहा है, उसे इस शिक्षा व्यवस्था और बुनियादी ढांचे के विकास में लगाया जा सकता है।
दूसरे बिंदु में प्रशांत किशोर ने शराबबंदी खत्म करने की बात कही। उनका तर्क था कि इस बंदी से बिहार को हर साल भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, जो अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा, “अगर हम इस पैसे का सही उपयोग करें, तो बिहार की तस्वीर बदल सकती है।”
तीसरा बिंदु और भी दिलचस्प था। प्रशांत किशोर ने जनता को एक नई ताकत देने का वादा किया – चुनाव में जीते हुए प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार। उनका कहना था कि अगर कोई नेता भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है या जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता, तो उसे दो साल के भीतर ही हटाया जा सकेगा।
चौथा बिंदु उम्मीदवारों के चयन से जुड़ा था। प्रशांत किशोर ने घोषणा की कि उनकी पार्टी में उम्मीदवार जनता चुनेगी, न कि पार्टी के नेता। यह कदम पूरी प्रक्रिया को अधिक लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनाने के लिए उठाया जाएगा।
अंत में, उन्होंने बिहार की जनता से अपनी पहचान और गर्व को लेकर खड़ा होने की अपील की। “बिहारी होने पर गर्व करना सीखिए,” उन्होंने कहा। उन्होंने बिहारियों को उस सम्मान की मांग करने की बात कही, जिसके वे हकदार हैं, खासकर उन जगहों पर जहां वे भेदभाव का सामना करते हैं।
इस नए राजनीतिक सफर को और भी मजबूत बनाने के लिए प्रशांत किशोर ने मनोज भारती, एक पूर्व IFS अधिकारी, को पार्टी का पहला कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। मनोज भारती की कूटनीतिक पृष्ठभूमि और अनुभव पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण पूंजी साबित हो सकती है।
इस तरह, प्रशांत किशोर का यह नया राजनीतिक प्रयोग बिहार को एक नई दिशा देने का वादा करता है, जहां शिक्षा, स्वाभिमान, और जनता की आवाज़ को प्रमुखता मिलेगी।