प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुवैत दौरा इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। ‘हला मोदी’ कार्यक्रम में उमड़ी भारी भीड़ ने इस दौरे को और खास बना दिया। पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने 43 सालों के बाद कुवैत की धरती पर कदम रखा, और उनकी ऊर्जा, विजन, और जोश ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में जो बातें कहीं, वो सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि भारत और कुवैत के रिश्तों को नई दिशा देने का वादा थीं। आइए, जानते हैं इस यादगार यात्रा की कुछ दिलचस्प झलकियां।
जब ‘मिनी हिंदुस्तान’ ने किया स्वागत
कुवैत के हला मोदी कार्यक्रम में मोदी जी ने भारतीय समुदाय को ‘मिनी हिंदुस्तान’ कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा, “आप लोग न सिर्फ कुवैत की अर्थव्यवस्था को समृद्ध कर रहे हैं, बल्कि भारत का नाम भी रौशन कर रहे हैं।” भारतीय प्रवासी समुदाय, जो कुवैत की सबसे बड़ी विदेशी आबादी है, ने इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बना दिया।
भारत-कुवैत: दोस्ती का नया अध्याय
प्रधानमंत्री ने मंच से जोर देकर कहा, “कुवैत, तुम्हारे सपनों को हकीकत में बदलने का साथी भारत बन सकता है। हमारे पास तकनीक है, मानव संसाधन है, और सबसे बड़ी बात, एक विजन है।”
मोदी जी ने भारत और कुवैत के बीच गहरे ऐतिहासिक संबंधों पर भी रोशनी डाली:
- 43 साल का इंतजार: यह दौरा 43 साल बाद हुआ, लेकिन इसने रिश्तों की गर्माहट को और बढ़ा दिया।
- साझा विरासत: भारतीय समुदाय ने सदियों से कुवैत के साथ सांस्कृतिक पुल बनाया है।
‘नया कुवैत’ बनाने में भारत का योगदान
कुवैत का सपना है कि वह अपने को एक “नए और उभरते हुए आर्थिक केंद्र” के रूप में स्थापित करे। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत इस यात्रा में उसका मजबूत साथी बन सकता है।
कैसे करेगा भारत मदद?
- टेक्नोलॉजी का जादू:
भारत की ग्रीन टेक्नोलॉजी कुवैत को ऊर्जा क्षेत्र में नई ऊंचाई पर ले जा सकती है। भारत की सोलर और विंड एनर्जी टेक्नोलॉजी के जरिए कुवैत अपनी ऊर्जा जरूरतों को हरित बना सकता है। - स्मार्ट सिटी का प्लान:
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत का स्मार्ट सिटी मॉडल कुवैत के शहरी विकास को नया रूप देगा।” कुवैत के शहरों को और भी स्मार्ट और टिकाऊ बनाने के लिए भारतीय विशेषज्ञ अहम भूमिका निभा सकते हैं। - डिजिटल क्रांति:
भारत की डिजिटल क्रांति कुवैत के प्रशासनिक ढांचे को और आधुनिक बना सकती है। ई-गवर्नेंस और डिजिटल कनेक्टिविटी में भारत का अनुभव कुवैत के विकास को गति देगा।
कुवैत में भारतीय समुदाय: रिश्तों की मजबूत कड़ी
कुवैत में बसे 10 लाख से ज्यादा भारतीय, दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने की रीढ़ हैं।
- आर्थिक योगदान: भारतीय प्रवासी हर साल 6.3 अरब डॉलर भारत भेजते हैं। यह सिर्फ पैसे नहीं, बल्कि रिश्तों की मजबूती का प्रतीक है।
- कौशल और प्रतिभा: भारतीय डॉक्टर, शिक्षक, इंजीनियर, और श्रमिक, कुवैत के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आप लोग न केवल कुवैत को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि भारत के साथ रिश्तों की गहराई को और बढ़ा रहे हैं।”
इतिहास से वर्तमान तक का सफर
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और कुवैत के ऐतिहासिक संबंधों को याद किया।
- पहचान का सम्मान: 1961 में जब कुवैत स्वतंत्र हुआ, भारत उन पहले देशों में था जिसने इसे मान्यता दी।
- तेल व्यापार का रिश्ता: कुवैत भारत का एक अहम तेल आपूर्तिकर्ता है, और यह रिश्ता दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को जोड़ता है।
- सांस्कृतिक रिश्ते: भारतीय त्योहार, संगीत, और भोजन कुवैत में लोगों के दिलों को जोड़ते हैं।
भविष्य की साझेदारी की झलक
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि यह यात्रा सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि एक साझा भविष्य की नींव है। उन्होंने कहा कि “भारत और कुवैत मिलकर एक नई दुनिया की कल्पना कर सकते हैं।”
क्या होगा आगे?
- नवाचार और स्टार्टअप:
भारत के स्टार्टअप्स कुवैत के फिनटेक और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में योगदान दे सकते हैं। - शिक्षा और स्वास्थ्य:
भारतीय विशेषज्ञ कुवैत में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में सुधार ला सकते हैं। - रक्षा और सुरक्षा:
दोनों देश मिलकर रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे।
‘हला मोदी’ ने दिया एक बड़ा संदेश
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण ने कुवैत और भारत के रिश्तों को नए आयाम दिए। उन्होंने कहा, “भारत और कुवैत का रिश्ता न सिर्फ साझेदारी का है, बल्कि दिलों का रिश्ता है।”यह दौरा दोनों देशों के लिए एक नई शुरुआत है। भारत की ताकत और कुवैत के सपने मिलकर एक नया इतिहास रच सकते हैं।’हला मोदी’ सिर्फ एक इवेंट नहीं था; यह भारत-कुवैत के रिश्तों का एक नया अध्याय था। दोनों देशों के साझा सपने और विजन एक ऐसा भविष्य लिख सकते हैं, जो पूरी दुनिया के लिए मिसाल बने।