उप मुख्यमंत्री के पद के मामले में विवाद बना हुआ है, विशेष रूप से इस पद के संविधान में स्पष्ट उल्लेख के न होने के कारण। इसके बावजूद, न्यायालयों ने लगातार इस शीर्षक की वैधता को बरकरार रखा है। 1990 में पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा संदर्भित किया गया है।
हालांकि संविधान के अनुच्छेद 74 में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रियों की परिषद के गठन का उल्लेख है, जो राष्ट्रपति को सलाह देती है, यह उप प्रधानमंत्री या उप मुख्यमंत्री के पदों को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट नहीं करता। इस कमी के कारण इन पदों के संवैधानिक स्थिति पर बहस चलती रही है, फिर भी न्यायालय ने नियुक्तियों में हस्तक्षेप करने से परहेज किया है।
न्यायालयों की इस भूमिका से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में ये पद स्वीकार्य हैं, भले ही संवैधानिक अस्पष्टताएं मौजूद हों। इस प्रकार, उप प्रधानमंत्री और उप मुख्यमंत्री के शीर्षक विवादों के बीच अस्तित्व में बने रहते हैं, और इनके कार्यों तथा वैधता पर निरंतर चर्चा होती रहती है।