आज हम बात कर रहे हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मिली कानूनी मंजूरी की। ये मामला दिल्ली की 2021-22 की विवादित आबकारी नीति से जुड़ा है और चुनावी राजनीति के लिए बहुत अहम बन गया है।
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली सरकार ने 2021-22 में एक नई आबकारी नीति लागू की थी, जिसका उद्देश्य शराब कारोबार को सुधारना था। लेकिन आरोप लगे कि इस नीति से कुछ निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया। ईडी का कहना है कि इस घोटाले में अरविंद केजरीवाल की भूमिका रही है।
ईडी ने 5 दिसंबर 2024 को दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना से अनुमति मांगी थी, जो अब मंजूर हो गई है। इसका मतलब है कि ईडी अब उनके खिलाफ अदालत में मुकदमा चला सकती है।
आप पार्टी का पक्ष
आम आदमी पार्टी (आप) ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि ये सब राजनीति से प्रेरित है।
- राजनीतिक साजिश का आरोप: आप पार्टी का कहना है कि भाजपा केंद्र की एजेंसियों का इस्तेमाल करके उनकी सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
- सबूत का अभाव: आप ने कहा कि अब तक इस मामले में कोई ठोस सबूत या पैसों की बरामदगी नहीं हुई है।
चुनावी माहौल में क्या असर पड़ेगा?
यह मामला चुनावों से ठीक पहले आया है, जिससे राजनीति गरमा गई है।
- आप के लिए चुनौती: यह मामला पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
- भाजपा का हमला: भाजपा इसे आप की नीतियों और पारदर्शिता पर सवाल उठाने के लिए इस्तेमाल कर रही है।
क्या होगा आगे?
यह मामला अब अदालत में जाएगा, जहां आप को अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी। हाई कोर्ट में भी सुनवाई होनी है, और इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
राजनीति में इस तरह की खींचतान लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं है। अगर कोई गड़बड़ी हुई है, तो न्यायिक प्रक्रिया के तहत सच्चाई सामने आनी चाहिए। लेकिन अगर यह सिर्फ राजनीति का हिस्सा है, तो यह जनता के समय और संसाधनों की बर्बादी है।
आप क्या सोचते हैं? क्या ये सही में घोटाला है या राजनीति का एक और खेल?