नवरात्रि का दूसरा दिन, जिसे “द्वितीया” कहा जाता है, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन विशेष रूप से 4 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। मां ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा के नव रूपों में से दूसरे रूप के रूप में जानी जाती हैं और उनका स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है।
मां ब्रह्मचारिणी का महत्व
मां ब्रह्मचारिणी तप और साधना की देवी हैं। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था, जिसके कारण उनका नाम “ब्रह्मचारिणी” पड़ा। उनका यह तपस्वी स्वरूप सभी भक्तों को प्रेरित करता है कि वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए दृढ़ संकल्पित रहें। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से व्यक्ति में धैर्य, विवेक, और आध्यात्मिक शक्ति की वृद्धि होती है।
पूजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा विधि निम्नलिखित है:
- स्नान और शुद्धता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- दीप प्रज्वलन: घर के मंदिर में दीप जलाएं।
- अभिषेक: मां दुर्गा का गंगाजल से अभिषेक करें।
- अर्पण: मां को अक्षत, सिंदूर, और लाल पुष्प अर्पित करें। फल और मिठाई के रूप में भोग चढ़ाएं।
- धूप-दीप: धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
- प्रसाद: अंत में प्रसाद वितरण करें।
शुभ मुहूर्त
इस दिन कुछ विशेष मुहूर्त भी होते हैं, जिनमें पूजा करना लाभकारी माना जाता है:
- ब्रह्म मुहूर्त: 4:38 AM से 5:27 AM
- अभिजीत मुहूर्त: 11:46 AM से 12:33 PM
- विजय मुहूर्त: 2:07 PM से 2:55 PM
पसंदीदा रंग और फूल
इस दिन का शुभ रंग हरा होता है, जो प्रकृति, नवीनीकरण, और ऊर्जा का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी को सफेद फूल प्रिय हैं, जो उनकी पवित्रता का प्रतीक हैं।
मंत्र
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जाता है:
“या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
नवरात्रि का यह दूसरा दिन हमें सिखाता है कि तप और साधना के माध्यम से हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से हम अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ सकते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।